कल 24 दिसंबर को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया कि देश में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर को आगे बढ़ाया जाएगा। यह फैसला ऐसे समय लिया गया है, जब देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध किया जा रहा है। हालांकि सरकार ने अब तक एनआरसी को असम से बाहर किसी अन्य राज्य में लागू नहीं किया है।
पहले नागरिकता कानून, फिर एनआरसी और अब एनपीआर। आपको नागरिकता कानून और एनआरसी में फर्क पहले ही बता चुकी हूँ। आइए आज आपको राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर और एनआरसी के बीच फर्क बताते हैं-
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( एनपीआर ):
- एनआरसी (NRC) असम में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सूची है जिसे असम समझौते को लागू करने के लिये तैयार किया गया है।
- एनआरसी के विपरीत, एनपीआर (NPR) नागरिकता गणना अभियान नहीं है बल्कि यह जनगणना अभियान है, एनपीआर को दूसरे शब्दों में जनगणना कार्य भी कह सकते हैं ।
- एनपीआर ‘देश के सामान्य निवासियों’ की एक सूची है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, ‘देश का सामान्य निवासी’ वह है जो कम-से-कम पिछले छह महीनों से स्थानीय क्षेत्र में रहता हो या अगले छह महीनों के लिये किसी विशेष स्थान पर रहने का इरादा रखता है। इसमें छह महीने से अधिक समय तक भारत में रहने वाले किसी विदेशी को भी इस रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।
- देश में लोगों की संख्या का रजिस्टर, जो गांव, कस्बे, तहसील, जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर तैयार होता है। इसे अपडेट करना कानूनी बाध्यता है। भारत सरकार ने अप्रैल 2010 से सितंबर 2010 के दौरान जनगणना 2011 के लिए घर-घर जाकर सूची तैयार करने तथा प्रत्येक घर की जनगणना के चरण में देश के सभी सामान्य निवासियों के संबंध में विशिष्ट सूचना जमा करके इस डेटाबेस को तैयार करने का कार्य शुरू किया था. उसी प्रकिया को आगे बढ़ाने का कार्य सरकार 2020 में शुरू करने जा रही है …