देश के संविधान की आत्मा यानी परियामबल (प्रस्तावना) के साथ छेड़छाड़ करने का मुद्दा पिछले दिनों काफी चर्चा में रहा है। पर बहुत कम लोगों को पता है कि जब संविधान सभा ने देश का संविधान लिखा था तो उस समय संविधान की प्रस्तावना में सैकुलर (धर्मनिरपेक्षता), सोशलिस्ट (समाजवाद) व इंटैग्रिटी (अखंडता) शब्द नहीं थे।
हमारे संविधान में सेक्युलर और ‘धर्मनिरपेक्ष’शब्द संविधान के 42वें संशोधन के दौरान जोड़े गए।
यह संशोधन 1976 में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते किया गया। आपातकाल से लेकर मूल संविधान से खिलवाड़, बांग्लादेश का निर्माण आदि उनकी विरासत हैं। इंदिरा गांधी 59 प्रावधानों वाले 42वें संविधान संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पारित करा रही थीं तो उनके विरोधियों ने उनके पास संविधान में संशोधन का अधिकार नहीं होने की बात उठाई थी। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की एरा सेज़ियन ने उन्हें याद दिलाया था कि वह उनके कई सहयोगियों को जेल में डाल चुकी हैं जिन्हें कि इस अहम विधेयक पर चर्चा करने का अवसर नहीं दिया गया है और उन्हें हिटलर की तरह संविधान को कमजोर करने के लिए संविधान का ही इस्तेमाल करने नहीं दिया जा सकता।
उस समय देश में एमरजैंसी लगी हुई थी तथा एमरजैंसी के दौरान ही किया गया यह संशोधन आज तक कायम है। इसे मिनी संविधान भी कहा जाता है। इस दौरान ही संविधान में 10 मौलिक कत्र्तव्य भी शामिल किए गए। ये कर्तव्य स्वर्ण सिंह कमेटी की सिफारिश के आधार पर तय किए गए। इसके अलावा इस संशोधन दौरान पांच काम स्टेट लिस्ट से निकाल कर कन्कुरैंट लिस्ट (समन्वय सूची) में डाले गए। शिक्षा, जंगल, जंगली, जीवन की रक्षा, नापतोल के यंत्र तथा न्यायिक प्रशासन जैसे विषयों पर प्रदेश व केंद्र दोनों को कानून बनाने का अधिकार मिला।
नागरिकों के कर्तव्य
1. राष्ट्र गान व राष्ट्रीय झंडे को सम्मान देना।
2. स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना।
3. देश की एकता व अखंडता को कायम रखना।
4. संकट की घड़ी में देश के साथ खड़े होना तथा उसकी रक्षा करना।
5. भाषा, धर्म व क्षेत्र को पीछे रख कर आपसी सद्भाव बढ़ाना।
6. अपनी संस्कृति व सभ्याचार की रक्षा करना।
7. वातावरण यानी वृक्षों, झीलों, जंगल, नदियों व जंगली जीवों को बचाना।
8. इंसानियत की भावना पैदा करना।
9. सार्वजनिक प्रापर्टी की रक्षा करना।
10. सामाजिक व आर्थिक क्षेत्र में होने वाले अच्छे कामों को देश निर्माण के लिए प्रोत्साहन देना।
इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
हालांकि इस संशोधन के पीछे उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का राजनीतिक मकसद भी था परंतु उस समय यह तर्क दिया गया कि देश को धार्मिक, सामाजिक व आर्थिकतौर पर विकसित करने के लिए इन संशोधनों की जरूरत है। खास तौर पर सैकुलर शब्द जोडऩे के पीछे यह तर्क दिया गया कि देश का कोई अपना धर्म नहीं है तथा देश सारे धर्मों का समान रूप में आदर करेगा। इसके अलावा इंटैग्रिटी शब्द भी आजादी, न्यायिक व्यवस्था, समानता तथा भाईचारे को मजबूत करने के लिए जोड़ा गया जबकि आॢथक असमानता को दूर करने के लिए संविधान में सोशलिस्ट शब्द जोड़ा गया।
काफ़ी विस्तार से आपने बताया है 👌
शुक्रिया
सराहनीय हैं आप, आपकी सारी पोस्ट अच्छी मैं सारी पढ़ने की पूरी कोशिश करूंगा🙏
स्वागत है। तहे दिल से आपका बहुत- बहुत शुक्रिया
आपका बहोत आभार जो कि मैं आपके प्रोफाइल से अवगत हो पाया। धन्यवाद
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