नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जयंती पर कृतज्ञतापूर्ण नमन
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा….! जय हिन्द! जैसे नारों से आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज ( 23 जनवरी ) जयंती है। उन्होंने साल 1920 में ब्रिटिश सरकार की प्रतिष्ठित आईसीएस की परीक्षा पास करने के बाद भी वह नौकरी नहीं की।
1. उनका जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा, बंगाल डिविजन के कटक में हुआ था।
2. नेताजी ने 1920 में इंग्लैंड में इंडियन सिविल सर्विस एग्जामिनेशन क्लियर किया था। लेकिन जब उन्होंने आजादी के लिए भारत की लड़ाई के बारे में सुना तो 23 अप्रैल, 1921 को जॉब छोड़ दी थी।
3. नेताजी कांग्रेस के गरम दल के युवा लीडर थे। वह 1938 और 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने। लेकिन महात्मा गांधी और कांग्रेस आलाकमान से मतभेदों के बाद 1939 में उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
4. वह गांधी जी की अहिंसा की विचारधारा से सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि आजादी हासिल करने के लिए सिर्फ अहिंसात्मक आंदोलन ही पर्याप्त नहीं होंगे और सशस्त्र प्रतिरोध की वकालत की।
5. उन्होंने 1942 में जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था। उनकी आजाद हिंद फौज में ब्रिटिश मलय, सिंगापुर और अन्य दक्षिण पूर्व एशिया के हिस्सों के युद्धबंदी और बागानों में काम करने वाले मजदूर शामिल थे।
6. नेताजी को ‘देशभक्तों के देशभक्त’ की उपाधि से नवाजा गया था। दिल्ली में संसद भवन में उनका विशालकाय पोर्टेट लगा है तो पश्चिम बंगाल विधानसभा भवन में उनकी प्रतिमा लगाई गई है।
7. भारतमाता के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में रहस्यमयी ढंग से मौत हो गई थी। नेताजी की मौत आज भी लोगों के लिए पहेली बनी हुई है। तमाम किस्से कहानियों में उन्हें जीवित बताया गया है। नेताजी ने ताइवान से जापान के लिए उड़ान भरी थी। लेकिन उनका विमान ताइवान की राजधानी ताइपे में ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। वह टोक्यो जा रहे थे। विमान में अचानक से तकनीकी खराबी आ जाने के कारण आग लग गई और जलते-जलते वह क्रैश हो गया। बताया जाता है कि इस हादसे में नेताजी बुरी तरह से जल गए थे और उन्होंने पास के ही जापान के अस्पताल में दम तोड़ दिया। यह भी माना जाता है कि विमान हादसे में जो व्यक्ति बुरी तरह से जख्मी था और जिसने अस्तपाल में दम तोड़ा वह वाकई में सुभाषचंद्र बोस थे भी या नहीं। यह भी संभावना जताई गई के वह हादसे में बच गए हों। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए तमाम जांच समितियां गठित कीं, लेकिन आज तक उनकी मौत कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिल पाए हैं।
8. कहा जाता है कि नेताजी, गुमनामी बाबा बनकर फैजाबाद में लंबे समय तक रहे। 1985 में जब गुमनामी बाबा की मृत्यु हुई तो उनके सामान को देखकर सब दंग रह गए। गुमनामी बाबा फर्राटेदार अंग्रेजी, बांग्ला और जर्मन बोलते थे। उनके पास महंगी सिगरेट, शराब, अखबार, पत्रिकाएं आदि थीं। उनके सामान से नेताजी की निजी तस्वीरें भी मिलीं जिससे कयास लगाए गए कि वही नेताजी थी। रॉलेक्स की घड़ी, आजाद हिंद फौज की यूनीफॉर्म, 1974 में आनंद बाजार पत्रिका में छपी 24 किस्तों वाली ‘विमान दुर्घटना की कहानी’, शाहनवाज और खोसला आयोग की रिपोर्ट, आदि मिले। कहते हैं गुमनामी बाबा का अंतिम संस्कार उसी जगह किया गया जहां भगवान श्रीराम ने जल समाधि ली थी।
आपने काफ़ी तथ्यों को संकलित किया है, आप अगर इसमें अंडमान निकोबार को आज़ादी दिलाने के सम्बंध में नेताजी के महत्वपूर्ण योगदान को भी लिखते तो मुझे बेहद खुशी होती, पर अपने अच्छी जानकारी दी धन्यवाद। जय हिंद
जी शुक्रिया आपने सही कहा। नेता जी के बारे में इतना सब कुछ कहने और जानने को है कि मैंने सोचा है उस पर पृथक पोस्ट बनाऊंगी।
उनकी व्यक्तिगत ज़िन्दगी से लेकर आज़ाद हिंद फौज के निर्माण तक 🙏🇮🇳जय हिंद।
उनकी जयंती की आपको हार्दिक बधाई 🙏🇮🇳
आपका बहोत आभार इस पोस्ट की मुझे सुबह से ही प्रतीक्षा थी 🙏🙏🙏
शुक्रिया 🙏थोड़ा व्यस्त रही आज इसलिए विलंब हो गया😊
पोस्ट तो आपने डाला ही ना विलंब मायने नहीं रखता। शुक्रिया🙏🙏