पूरे वर्ष को 6 ऋतुओं में बांटा गया है, जिसमे वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु ,वर्षा ऋतु , शरद ऋतु , हेमंत ऋतुऔर शिशिर ऋतु शामिल है | इस सभी ऋतुओं में से वसंत को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है, इसी कारण इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है | हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन यानि पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है, इसलिए इसे माघ पंचमी भी कहते हैं इसे श्रीपंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता हैं।
बसंत ऋतु में पेड़ों में नई-नई कोंपलें निकलनी शुरू हो जाती हैं। खेतों में फसलें लहलहा उठती हैं और फूल खिलने लगते हैं । नाना प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से सज जाती है। खेतों में सरसों के पीले फूल की चादर की बिछी होती है और कोयल की कूक से दसों दिशाएं गुंजायमान रहती है।हर जगह खुशहाली नजर आती है तथा धरती पर सोना उगता है अर्थात धरती पर फसल लहलहाती है।
मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था इसलिए बसंत पचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है । माँ सरस्वती को विद्या एवम् बुद्धि की देवी माना जाता है |
बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान मांगा जाता है ।पीले रंग के कपडे पहन कर पीले फूलों से देवी सरस्वती की पूजा करना शुभ माना गया है| पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है|
भारत के आलावा यह पर्व बांग्लादेश और नेपाल में भी बड़े उल्लास से मनाया जाता है। 🌻🌻🌻🙏
आपको भी बसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं🙏
शुक्रिया, आपको भी 🙏