नन्हीं उंगलियो ने थाम ली मेरी कलाई,
कहीं जाते -जाते, मैं वहीं ठहर गई !
हाँ थी मैं बड़ी ही जल्दी में,
अपनी ही धुन अपनी ही मस्ती में !
उसने न जाने क्या जादू कर दिया,
मासूम आँखों से कुछ कह दिया !
दिल में ममता की लहर उभर गई,
मैं उसकी प्यारी सूरत तकती रह गई !
पर्स उतार टेबल पर रख दिया,
फिर उसको बाँहों में भर लिया !
ये सुकून और कहां पाना था,
अब मुझे कहीं और न जाना था !
©®कुसुम गोस्वामी
(चित्र सौजन्य: इंटरनेट)
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