हम जा रहे थे डीलक्स कार से,
वो रिक्शा चला रहा था !
हम एसी में बैठे थे,
वो पसीना पूछा रहा था !
हम जाम लगा देख भुनभुना रहे थे,
वो रिक्शा रोककर मुस्करा रहा था !
हमारा ध्यान घड़ी की सुइयों पे था,
वो बेफिक्री से घूम रहा था !
हम होटल में खाना खा रहे थे,
वो बर्तन धुल रहा था !
पेट भर गया खाना छोड़ दिया प्लेट में,
वो बेचारा तिनके गिन रहा था !
हम महंगे अस्पताल में इलाज़ करवा रहे थे,
वो अपनी बीमारी से लड़ रहा था !
हम बीमार होकर घर पर पड़ गए,
वो अब भी मजदूरी कर रहा था !
हम मंदिरो में फूल चढ़ा रहे थे,
वो बहार फूल बेच रहा था !
हम आपस में ही लड़ रहे थे,
वो परिवार के लिए घर तलाश रहा था !
हम रात में करवट बदल रहे थे,
वो चैन की नींद सो रहा था !
वो कौन था ये बताने की जरूरत नहीं शायद,
आप ने भी देखा होगा उसको शायद !
खुश वो है या हम; ये सोचना होगा,
गरीब वो है या हम; ये जानना होगा !!!
©®कुसुम गोस्वामी
(चित्र सौजन्य: इंटरनेट)
अतिसुन्दर प्रभु 🙏🙏
शुक्रिया
बिलकुल सच कहा…. सच्ची खुशी सुविधाओं से नही मिलती पर मन की एक विचार धारा से मिलती है, सुविधाओं से तो जीवन सरल बनता है, खुशी मिले या नही,वो कह नही सकते।
सही कहा आपने 🙏