हारकर जीवन में न होंगे हताश,
जीत की जारी रखेंगे सदा तलाश
माना किस्मत पर नहीं है अपना ज़ोर,
पर चल तो सकते हैं मंजिल की ओर
जीवन रस में घोलें खुशियों की मिठास ,
कभी तो रंग लाएगा अपना एक प्रयास
मुश्किलों की खड़ी होंगी जब कई दीवार,
हौसलों की बनाएंगे मजबूत ऊंची मीनार
मन की वीणा ने छेड़ा है उम्मीदों के साज़,
मंजिल भी देने लगी है खुद हमें आवाज़
देखो! निराशा की अंधेरी गुफा के उस पार,
जीवन का नज़र आएगा तुमको सब सार
चल देंगे दिखेगा जिधर हल्का सा प्रकाश,
हम यूं करेंगे अपने हर दुख का विनाश
खुशियों का होने लगा है अभी से आगाज़,
सब पा लिया लगता है इस पल में आज
त्याग देंगे जब हम अपना झूठा अभिमान,
निकलेगा तब हर उलझन का समाधान
देखना! खुल जाएंगी नई राहें बेशुमार,
करने लगेंगे जब हम खुद पर एतबार
कुसुम गोस्वामी ‘किम’
(चित्र सौजन्य: इंटरनेट)
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Thanks
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