जिस पॉपकॉर्न और कोल्डड्रिंक को हम बाहर 30-30 रुपये में पीते हैं उसकी कीमत उछलकर अचानक सिनेमा हॉल में 300-400 तक पहुंच जाती है।और टिकटों के आसमान छूते मूल्यों का क्या कहना।
एक स्टार को स्टार, आम से ख़ास हम ही बनाते हैं। लखपति से करोड़पति फिर अरबपति हमारी जेब से झड़े पैसे ही बनाते हैं।
क्या फिल्मी कलाकारों के अलावा प्रतिभा समाज में कहीं और नहीं होती???
हम हर कला को समान दृष्टि से क्यों नहीं देखते…
ये विषमता आखिर क्यों???
देते सम्मान सदा उन्हें
जो दिखते रहते हैं यहां
ओर कोई नही प्रतिभा ऐसी
जो दिखे घर घर वो यहा।।
Tv, सिनेमा बनाए मैगजीन
स्टार उन्हें कहे यहा
उन्ही बदौलत इकछत्र राज
सिनेमा वाले करे यहा।।
कोन करेगा बहिष्कार उनका
सबको पता दलदल हैं वहाँ
अधिकांश नशे के शिकार सब
फिर पूजनीय दुनिया के लिए यहां।।
Always give respect to them
Who keep looking here
No one else has such talent
What you see here is home.
TV, cinema made magazine
Star says them here
Due to the same rule
Here are the cinema people.
Who will boycott their
Everyone knows the marshes are there
Most all drug addicts
Then here for the venerable world.