“इन दिनों मेरी किताब” पर मेघना की समीक्षा:
कुछ उपन्यास और उसके पात्र किताब ख़त्म होने के बाद भी दिलो दिमाग में घूमते रहते हैं। एक ऐसा ही उपन्यास है “मेघना: एक अलबेली-सी पहेली”। उपन्यास क्या है यूँ लगता है जैसे हम किसी की जिंदगी का हिस्सा बन गए और कोई हमारी जिंदगी का किस्सा बन गया। एक से बढ़कर एक चरित्र, एक से बढ़कर एक संवाद, सब कुछ एकदम परफेक्ट, ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई मेघना पढ़े और उससे उसे प्यार ना हो जाए। कहानी को रोचक बनाने में सस्पेंस भी अहम भूमिका निभाते है। लेखिका ने इस बात का भी खूब ध्यान रखा है कि हर चैप्टर के बाद कोई न कोई सस्पेंस या राज उजागर हो जिससे रीडर की एक ही बार में पूरा उपन्यास ख़त्म करने की इच्छा प्रबल हो जाए। पात्रों के मध्य संवाद बेहद सजीव और सटीक हैं। पूरी कहानी में निरंतर बहाव बना रहता है। कुछ रहस्य हैं जो आखिर में जाकर उजागर होते हैं जो पढ़ने वाले को हिला देते हैं। तो आप भी एक बार एक अच्छी कहानी, एक अच्छे उपन्यास के मोह जाल में फंसना चाहते हैं तो जरूर पढ़ें-“मेघना” लेखिका- कुसुम गोस्वामी
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