किताबें सुख-दुख की साथी होती हैं जैसे कोई छुटपन का संगी। दुख के समय ये हिम्मत देती हैं लहलहाकर, गलबहियाँ डाल सारी उदासी दूर खदेड़ देती हैं। खुशियों के पलों में होठों की मुस्कान को दोगुना चौड़ा कर देती हैं। इनके साथ आहिस्ता-आहिस्ता आत्मीय संबंध बनता जाता है। ये कभी अकेलेपन का अहसास नहीं होने देतीं इनके सानिध्य में असीम संतुष्टि मिलती है। किताबें पढ़ना समय का बेहतर सदुपयोग है। अतः किताबों को दोस्त बनाएं जो आत्मा को पोषित करके आपको आंतरिक पूर्णता प्रदान करने में मदद करती हैं।
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