किताबें सुख-दुख की साथी होती हैं जैसे कोई छुटपन का संगी। दुख के समय ये हिम्मत देती हैं लहलहाकर, गलबहियाँ डाल सारी उदासी दूर खदेड़ देती हैं। खुशियों के पलों में होठों की मुस्कान को दोगुना चौड़ा कर देती हैं। इनके साथ आहिस्ता-आहिस्ता आत्मीय संबंध बनता जाता है। ये कभी अकेलेपन का अहसास नहीं होने… Continue reading पुस्तकें- हमारी सच्ची मित्र
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मेघना- किंडल फ़ारमैट
मेघना अब किंडल पर भी जिन रीडर्स को E-Book पढ़ने का शौक़ है उनके लिए खुशख़बरी! मेघना अब किंडल पर भी उपलब्ध है। कोरोना काल में जब बीच-बीच में कहीं-कहीं लॉकडाउन की वजह से डिलीवरी में विलंब हो रहा है ऐसे में किंडल एक अच्छा विकल्प है। तो निराशा भरे वातावरण को थोड़ी देर के… Continue reading मेघना- किंडल फ़ारमैट
मेघना- समीक्षा-1
मेघना की समीक्षा : विशाल यादव जी द्वारा - साहित्य में लोकरंजन अनिवार्य है क्योंकि हास्य और व्यंग्य के बिना साहित्य में पंच नहीं आ पाएगा और वह ऐसी पुस्तक बनकर रह जाएगी जो सिर्फ नियम कायदे सिखाती है। चूंकि पुस्तक का पढ़ा जाना और फिल्म का देखा जाना उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है इसलिए… Continue reading मेघना- समीक्षा-1
नायिका से मुलाक़ात
जैसे हर इंसान स्वभाव से भिन्न होता है, वैसे ही हर कहानी की नायिका भिन्न होती है। तो कैसी है हमारी कहानी की नायिका "मेघना" ? चलिए! उससे पहले, उससे पहचान का सिलसिला रखते हैं... उपन्यास "मेघना – एक अलबेली-सी पहेली" हिन्दयुग्म प्रकाशन से शीघ्र प्रकाशित होने जा रहा है।
मेघना- एक अलबेली-सी पहेली
मातारानी की कृपा, माँ सरस्वती के आशीर्वाद और आप सब शुभचिंतकों की शुभकामनाओं का प्रतिफल है जो आपसे एक खुशी साझा करने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ ... आदरणीय मित्रों ! नववर्ष के प्रथम माह की विदाई की बेला एवं बसंत ऋतु के आगमन से थोड़ा पूर्व आज, एक सुनहरी दोपहरिया में, आपको अपना राज़दार… Continue reading मेघना- एक अलबेली-सी पहेली